Agro Rajasthan Desk New Delhi: देशभर में बहुत से लोग EMI भरते हैं. इएमआई की दरें अधिक होने के कारण लोगों को EMI भरने में काफी परेशानी होती है. जिसके चलते EMI पर एक बड़ा अपडेट आया है.
जानकारी के लिए बता दें की हाल ही में आरबीआई इएमआई पर एक बड़ा फैसला सुनाया है. जिसमें RBI ने क्लीयर किया है की इएमआई की दरें कम होंगी या बढ़ जाएंगी. आइए खबर में हैं क्या है RBI का फैसला
आज बहुत सारे लोग ऐसे हैं जो अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए किसी न किसी तरह का लोन ले लेते हैं और उसकी EMI भरते हैं। रेपो रेट न्यूज़ 3 अप्रैल को RBI (reserve bank of india) ने मीटिंग शुरू की थी और ये मीटिंग 5 अप्रैल यानी कल खत्म होगी और इस मीटिंग में लोन को लेकर बड़े फैसले होने वाले हैं।
इस समय सभी लोग यह उम्मीद लगा रहे हैं कि उनकी लोन की ईएमआई (Loan EMI) कम हो जाए. ऐसी उम्मीद है कि केंद्रीय बैंक एक बार फिर रेपो रेट्स (Repo rates me hoga badlaav) की दरों को स्थिर रख सकता है. इसके साथ ही आरबीआई (RBI) का फोकस इंफ्लेशन को कंट्रोल में रखना है.
इकोनॉमिक ग्रोथ रेट (economic growth rate) को लेकर चिंताएं कम होने से रिचेल इंफ्लेशन पर फोकस रहने की उम्मीद है. यह वित्त वर्ष 2024-25 की पहली मौद्रिक नीति समीक्षा है. एक अप्रैल से नया वित्त वर्ष शुरू हो गया है. इस साल आरबीआई (rbi latest news) 6 एमपीसी की मीटिंग करेगा.
पिछले साल फरवरी में हुआ था इज़ाफ़ा
आरबीआई (rbi big update) ने आखिरी बार फरवरी, 2023 में रेपो दर में इजाफा किया था और तब से यह लगातार 6.5 प्रतिशत पर बरकरार है. पिछली 6 मीटिंग से रेपो दर (repo rate) में कोई बदलाव नहीं किया गया है.
कौन-कौन है समिति में शामिल
गवर्नर दास (RBI governor Shaktikanta Das) की अध्यक्षता वाली समिति में शशांक भिड़े, आशिमा गोयल, जयंत आर वर्मा, राजीव रंजन और माइकल देबब्रत पात्रा भी शामिल हैं. सरकार ने आरबीआई को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि रिटेल इंफ्लेशन दो प्रतिशत की घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर बना रहे. फरवरी के महीने में खुदरा मुद्रास्फीति दर 5.1 प्रतिशत थी.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
एक्सपर्ट ने कहा कि एमपीसी बैठक में अमेरिका और ब्रिटेन जैसी कुछ प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के केंद्रीय बैंकों के रुख पर तवज्जो दी जा सकती है.
ये केंद्रीय बैंक (rbi) ब्याज दरों में कटौती को लेकर फिलहाल ‘देखो और इंतजार करने’की स्थिति में हैं. स्विट्जरलैंड ब्याज दरों में कटौती करने वाली पहली बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, जबकि दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था जापान ने नकारात्मक ब्याज दरों का सिलसिला हाल ही में खत्म कर दिया है.